जयप्रकाश नारायण, डॉ राममनोहर लोहिया को दी श्रद्धांजलि, छात्र-प्रोफेसरों ने जमीन पर बैठकर किया कार्यक्रम

- संवाददाता, ई रेडियो
मेरठ। डॉक्टर राममनोहर लोहिया एक फ़िजा थे, साथ ही एक अनोखी व गर्म फ़िजा के निर्माता भी। वह फिजा कैसी थी ?
सम्पूर्ण आजादी, समता, सम्पन्नता, अन्याय के विरुद्ध जेहाद और समाजवाद की फ़िजा। आज वह फ़िजा भी नहीं है, लोहिया भी नहीं है। लेकिन दूसरों के लिए जीने वाला कभी मरता नहीं। लोहिया आज भी अपने विचारों में जीवित है। लगन, ओजस्विता और उग्रता–प्रखरता को जब तक गुण माना जायेगा, लोहिया के विचार अमर रहेंगे।
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय #CCSU #Meerut व कालेजों के प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर एवं छात्रों ने दो महान समाजवादी नेताओं के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया
यह विचार शुक्रवार को जैन डिग्री कॉलेज बड़ौत में राजनीति शास्त्र के असिस्टेंट प्रोफेसर स्नेहवीर पुंडीर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के मुख्यद्वार पर देश के महान समाजवादी नेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण एवं डॉ राममनोहर लोहिया को आयोजित श्रद्धांजलिसभा में व्यक्त किया। डॉक्टर स्नेहवीर ने कहा कि लोहिया की आत्मा विद्रोही थी। अन्याय का तीव्रतम प्रतिकार उनके कर्मों व सिद्धान्तों की बुनियाद रही है। प्रबल इच्छाशक्ति के साथ-साथ उनके पास असीम धैर्य और संयम भी रहा है। बार-बार जेल जाने-अपमान सहने के अप्रिय अनुभवों के बावजूद भी अन्याय के लिए अपनी दृढ़ता के कारण वे फिर-फिर ऐसे कटु अनुभवों को आमंत्रित कर के अंगीकार करते रहे।
छोटे कार्यकर्ताओं को देते थे मौका
जेपी व लोहिया छोटे छोटे कार्यकताओं को भी अपनी बात रखने का अवसर देते थे और उन्हें प्रोत्साहित करते थे। देश में जेपी ने ही लोकतंत्र की नींव बचाई थी।
गांधीवादी नेता महावीर त्यागी ने कहा भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जयप्रकाश नारायण और लोहिया जैसे युवा नेताओं ने जनमानस में अहिंसक क्रांति का बीजारोपण किया।

भारत छोड़ों आंदोलन में अंग्रेजों ने देशभर में कांग्रेस के नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। तब एकबारगी ऐसा लगा यह आंदोलन मुकाम पर पहुँचने से पहले ही विफल हो जाएगा। लेकिन कांग्रेस के भीतर जयप्रकाश नारायण और राममनोहर लोहिया जैसे कांग्रेस समाजवादी नेताओं ने आंदोलन का अगले दो सालों तक सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। आंदोलन की घोषणा होते ही मुंबई में एक भूमिगत रेडियो स्टेशन से आंदोलनकारियों को दिशा-निर्देश दिए जाने लगे थे। ऐसा करने वाले कोई और नहीं राम मनोहर लोहिया थे। अंग्रेज जब तक उस रेडियो स्टेशन को ढूंढ़ पाते तब तक लोहिया कलकत्ता जा चुके थे। वहां वे पर्चे निकालकर लोगों का नेतृत्व करने लगे। उसके बाद वे जयप्रकाश नारायण के साथ नेपाल पहुंच गए। वहां पर ये लोग आजाद दस्ता बनाकर आंदोलनकारियों को आंदोलन विस्तारित करने का प्रशिक्षण देने लगे।
समाज को एकरूपता देने में लोहिया अग्रणी तो जेपी थे प्रणेता: डॉ. कुलदीप उज्वल
पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री डॉक्टर कुलदीप उज्ज्वल ने कहा जातीयता, भ्रष्टाचार व असमानता को दूर करने में आज भी सोशलिस्ट नेता जेपी व डॉक्टर लोहिया के विचार प्रांसगिक है। डॉक्टर लोहिया की सप्तक्रांति व जेपी की सम्पूर्णक्रांति के प्रणेता जेपी व लोहिया के विचारों से ऊर्जा का नौजवानों में संचार होता हैं।
जेपी आंदोलन से निकले अरुण वशिष्ठ ने कहा कि गांधी के स्वराज,जय प्रकाश नारायण के जनता राज और डॉक्टर लोहिया के चौखंभाराज का सपना आज भी अधूरा है, उसे पूरा करने की जिम्मेदारी विश्वविद्यालयों व डिग्री कालेजों में पढ़ रहे विद्यार्थियों की हैं।

कार्यक्रम में ये रहे मौजूद
डॉ. योगेंद्र विकल ने कहा शायद लीक पर चलना लोहिया के स्वभाव में न था।
डॉ अंशु , राजीव बालियान, सचिन चौधरी, दीपक पंवार, आदित्य तोमर, आकाश तोमर, युग्विजय, चीकू महामंत्री मेरठ कॉलेज, भानु प्रताप पूर्व अध्यक्ष डीएन, सम्राट मालिक पूर्व अध्यक्ष, सचिन सिसौली, अमित आदि छात्र उपस्थित रहे।
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